शारीरिक शिक्षा के दार्शनिक आधार
दर्शनशास्त्र Philosophy सामान्य शब्दों में दर्शन ज्ञान के प्रति अनुराग है। दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य यथार्थ और सिद्धांतों, और उनके कारणों की विवेचना करता है व सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है जिसके आधार पर व्यक्ति सही व गलत और सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों के बीच में अन्तर करता है, और स्वयं का चिंतन, दृष्टिकोण व विचारधारा विकसित करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। देश, समय, काल एवं परिस्थितियों के अनुसार व्यक्ति के दृष्टिकोण और विचारधारा में परिवर्तन संभव है और उसी के आधार पर दर्शन की नई शाखाओं का जन्म होता है। प्रत्येक व्यक्ति का किसी भी विषय पर अपना निजी मत विचार, अनुभव व दृष्टिकोण हो सकता है अतः प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में एक दार्शनिक है। विभिन्न समय पर विभिन्न स्थानों पर अनेक दार्शनिक हुए हैं जिन्होंने अपने...