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Showing posts from December, 2020

शारीरिक शिक्षा के दार्शनिक आधार

  दर्शनशास्त्र Philosophy सामान्य शब्दों में दर्शन ज्ञान के प्रति अनुराग है। दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य यथार्थ और सिद्धांतों, और उनके कारणों की विवेचना करता है व सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है जिसके आधार पर व्यक्ति सही व गलत और सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों के बीच में अन्तर करता है, और स्वयं का चिंतन, दृष्टिकोण व विचारधारा विकसित करता है।  दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। देश, समय, काल एवं परिस्थितियों के अनुसार व्यक्ति के दृष्टिकोण और विचारधारा में परिवर्तन संभव है और उसी के आधार पर दर्शन की नई शाखाओं का जन्म होता है। प्रत्येक व्यक्ति का किसी भी विषय पर अपना निजी मत  विचार, अनुभव व दृष्टिकोण हो सकता है अतः प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में एक दार्शनिक है। विभिन्न समय पर विभिन्न स्थानों पर अनेक दार्शनिक हुए हैं जिन्होंने अपने...

वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले कारक ( Factors Influencing Development )   विकास एक सतत् प्रक्रिया है यह जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है I विकास के कई आयाम होते है | और उन्हें प्रभावित करने वाले कई कारक होते है। जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझ सकते है । 1. वंशानुक्रम (Genetics)-        बालक का विकास वंशानुक्रम में उपलब्ध गुण एवं क्षमताओं पर निर्भर रहता है। गर्भधारण करने के साथ ही बालक में पैतृक गुण और दोषों विकासआरंभ हो जाता है तथा यहां से बालक की बुद्धि एवं विकास की सीमाएं सुनिश्चित हो जाती है। यह पैतृक गुण पीढ़ी-दर-पीढ़ी हां स्थानांतरित होते हैं। बालक के कद, आकृति, चरित्र, बुद्धि आदि को भी वंशानुक्रम संबंधी विशेषताएं प्रभावित करती है।     विभिन्न अध्ययनों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वंशानुक्रम बालक की विकास की सभी पक्षों शारीरिक ,मानसिक तथा संवेगात्मक, को प्रभावित करता है। विभिन्न प्रकार के वंशानुगत रोग एवं दोष  भी नवजात शिशु को अपनी पूर्वजों से ही प्राप्त होते हैं। प्राय: देखा जाता है कि स्वस्थ माता-पता के स्वस्थ ...

वृद्धि एवं विकास

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  वृद्धि एवं विकास समस्त जीवधारियों के जीवन काल में हमेशा कुछ परिवर्तन होते रहते हैं । कुछ परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देते हैं परंतु कुछ परिवर्तन दिखाई नहीं देते उनका केवल अनुभव किया जा सकता है।  कुछ परिवर्तन आंतरिक कारणों से होते हैं और कुछ परिवर्तन आंतरिक व बाह्य कारकों के मिले-जुले प्रभाव से होते हैं। जीव धारियों की जीवन में आने वाले परिवर्तनों को दो भागों में बांटा जाता है वह हैं वृद्धि एवं विकास वृद्धि वृद्धि का सामान्य अर्थ है बढ़ना। वृद्धि से अभिप्राय हैं कि परिमाण अथवा मात्रा में बढ़त मानव शरीर में वृद्धि से अभिप्राय है वजन, लंबाई, आकार, आकृति में बढ़ोतरी जो कि प्रत्यक्ष रूप से होती है और जिसे मापा जा सकता है आयु के अनुसार वृद्धि के विभिन्न मानक तय होते हैं। जब से प्राणी माता के गर्भ में आता है, तब से लेकर परिपक्वता की आयु प्राप्त कर लेने तक वृद्धि का क्रम निरंतर जारी रहता है। मनुष्य में सामान्य रूप से 18 वर्ष के अवस्था तक शारीरिक वृद्धि की प्रक्रिया जारी रहती हैं विकास वृद्धि के साथ-साथ शरीर में आने वाले गुणात्मक परिवर्तनों को विकास कहते हैं । विकास जीवन पर्यंत चल...

1st Sem Unit 1 शारीरिक शिक्षा अर्थ एवं परिभाषायें, लक्ष्य एवं उद्देश्य

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शारीरिक शिक्षा का परिचय शारीरिक शिक्षा का अर्थ परिभाषा एवं महत्व शारीरिक-शिक्षा शिक्षा का ही एक अभिन्न अंग है शारीरिक शिक्षा को समझने से पूर्व शिक्षा के बारे में जानना आवश्यक है शिक्षा सामान्य शब्दों में 'शिक्षा' शब्द का अर्थ सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से है जिसमें वर्तमान पीढ़ी अपनी पिछली पीढ़ी से उनके द्वारा संचित ज्ञान एवं अनुभव का अर्जन करती है तथा उसे परिमार्जित करके उसे आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित करती है। ज्ञान अर्जन एवं उसके हस्तांतरण की यह प्रक्रिया अनादिकाल से चली आ रही है। शिक्षा एक निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात क्षमताओं का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में वांछित परिवर्तन ला कर उसे उसके परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास में योगदान करने हेतु एक उपयोगी नागरिक बनाने का प्रयास किया जाता है। शिक्षा का प्रकार औपचारिक अथवा अनौपचारिक हो सकता है परंतु उसका लक्ष्य सदैव एक सभ्य एवं सुसंस्कृत नागरिक तैयार करना होता है।  शारीरिक शिक्षा शारीरिक-शिक्षा में 'शारीरिक' शब्द से ही पता लगता है कि है यह शारीरिक क्रिया...