सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। 'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास प्रातः काल सूर्योन्मुख होकर सूर्य के दर्शन करते हुए बारह स्थितियों में किया जाता है, जो निम्नलिखित है- (1) प्रणामासन - दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों। नेत्र बंद करें। 'सूर्य भगवान' का आह्वान 'ॐ मित्राय नमः' मंत्र के द्वारा करें। (2) हस्त उत्तानासन - श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। मंत्र - ॐ रवये नमः (3) उत्तानासन (पादहस्तासन) - तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। मंत्र - ॐ ...