ऐथेंस में शारीरिक शिक्षा एवं खेल का इतिहास
ऐथेंस में शारीरिक शिक्षा एवं खेल का इतिहास
प्राचीन यूनान या ग्रीस को पश्चिमी सभ्यता का गुरू कहा जाता है. प्राचीन यूनान की परंपराएं, इतिहास, संस्कृति, खोज और धर्म ने आज की पश्चिमी सभ्यता की बुनियाद रखी थी. प्राचीन यूनान सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से बहुत समृद्ध राज्य था। महान दार्शनिक अरस्तु सुकरात प्लेटो आदि यूनान में ही पैदा हुए थे। यूनान से ही लोकतंत्र के दर्शन का विकास हुआ था। उस दौर की तमाम चीज़ों की झलक हम आज के पश्चिमी देशों में देख सकते हैं. उस दौर के रीति-रिवाज और चलन का आज भी पश्चिमी दुनिया पर गहरा असर दिखता है.
आधुनिक विश्व में वर्तमान शारीरिक शिक्षा एवं खेल की संस्कृति का प्रारंभ प्राचीन यूनान से हुआ था।
विश्व की सबसे बड़ी खेल स्पर्धा प्राचीन ओलंपिक खेल की भी शुरुआत 776 ईसा पूर्व में एथेंस (यूनान) से ही हुई थी। 394 ईसवी में रोमन साम्राज्य द्वारा ओलंपिक खेलों पर प्रतिबंध लगा दितया गया और उसके बाद लगभग1500 सालों के बाद 1896 ईसवी में ओलंपिक खेलों को पुनर्जीवित किया गया और आज भी ओलंपिक खेल निरंतर रूप से प्रत्येक 4 साल के अंतराल पर आयोजित किए जाते हैं
ऐथेंस में शारीरिक शिक्षा एवं खेल का इतिहास
जो प्रतिष्ठा शारीरिक शिक्षा की एथेंस में थी वैसे कहीं नहीं थी।एथेंस में शरीर के माध्यम से शिक्षा का सिद्धांत बहुत ही गंभीरता से लिया जाता था। स्पार्टा की भांति एथेंस की शारीरिक शिक्षा का भी पहला लक्ष्य एक मजबूत सैन्य शक्ति को तैयार करना था। परंतु सैन्य शक्ति के साथ-साथ एथेंस के निवासी शारीरिक शिक्षा के माध्यम से छात्र के अंदर अनेक सद्गुणों जैसे इमानदारी साहस नागरिकता की भावना आदि का विकास भी सुनिश्चित करते थे।
एथेंस की शिक्षा प्रणाली आदर्शवादी सिद्धांतों पर आधारित थी और जिसका लक्ष्य छात्र को सर्वगुण संपन्न में नागरिक बनाना होता था। छात्र के मस्तिष्क व शरीर का समेकित विकास करना तथा सौंदर्य व सद्भाव के बीच के संबंध को और प्रगाढ़ करना प्रमुख उद्देश्य था।
जिम्नेशियम (Gymnasium)
राज्य द्वारा शारीरिक और मानसिक अभ्यास करने के लिए विशेष केंद्र बनाए गए थे जिन्हें जिम्नेशियम (Gymnasium) कहा जाता था। जिम्नेशियम शारीरिक अभ्यास और खेल के साथ तैराकी और बौद्धिक चर्चा के केंद्र भी थे। जिम्नेशियम में प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक भी होते थे जिन्हें पैडागोगस (Pedagogues) कहा जाता था
जिम्नेशियम में बहुत ही कठोर अनुशासन का पालन किया जाता था और नियम बहुत कड़े थे। बुरे चरित्र, शराबी, पागल और दास लोगों को जिम्नेशियम में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। धनी लोग अपने घर पर व्यक्तिगत जिम्नेशियम भी बनवाते थे साथ ही कई सामाजिक लोग गरीब लोगों के लिए भी जिम्नेशियम की व्यवस्था करते थे। आधुनिक युग में स्थापित होने वाले जिम्नेशियम उसी भावना से प्रेरित होते है।
पैलेस्ट्रा (Palestra)
कुश्ती और जिमनास्टिक का प्रशिक्षण देने के लिए बनाए गए विशेष केंद्र पैलेस्ट्रा कहलाते थे जहां पर खेल प्रशिक्षण के साथ साथ चेंजिंग रूम और स्टोर रूम की व्यवस्था भी होती थी।
- -स्पार्टा की विपरीत एथेंस में शिशु हत्या पर प्रतिबंध था
- -नवजात शिशु के ऊपर परिवार का पूर्ण अधिकार होता था
- -7 वर्ष की आयु तक बच्चे परिवार में रहकर ही शारीरिक प्रशिक्षण, संगीत, नृत्य, जिमनास्टिक आदि का अभ्यास करते थे
- -7 वर्ष से 14 वर्ष की आयु तक छात्र को विद्यालय में गणित, साहित्य, कुश्ती, जिमनास्टिक, संगीत, वाद विवाद आदि की शिक्षा प्रदान की जाती थी
- -18 वर्ष की आयु में बालकों का सैन्य प्रशिक्षण प्रारंभ हो जाता था 20 वर्ष की आयु तक छात्र को उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार होता था तथा वह सैनिक के रूप में देश की सेवा प्रारंभ करते थे
- -30 वर्ष की आयु में उन्हें विवाह करने व परिवारिक जीवन व्यतीत करने की अनुमति होती थी
- -60 वर्ष की आयु में वे सेवानिवृत्त होते थे और आने वाली पीढ़ी को शारीरिक शिक्षा, खेल व सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करते थे
एथेंस में महिलाओं की स्थिति
एथेंस में मुख्य रूप से लड़कों की शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण पर ही ध्यान दिया जाता था। महिलाएं मुख्य रूप से घरेलू कार्यों तक ही सीमित रहती थी
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