स्पार्टा में शारीरिक शिक्षा
स्पार्टा में शारीरिक शिक्षा
प्राचीन यूनान या ग्रीस को पश्चिमी सभ्यता का गुरू कहा जाता है. प्राचीन यूनान की परंपराएं, इतिहास, संस्कृति, खोज और धर्म ने आज की पश्चिमी सभ्यता की बुनियाद रखी थी.उस दौर की तमाम चीज़ों की झलक हम आज के पश्चिमी देशों में देख सकते हैं. उस दौर के रीति-रिवाज और चलन का आज भी पश्चिमी दुनिया पर गहरा असर दिखता है.
आधुनिक विश्व में वर्तमान शारीरिक शिक्षा एवं खेल की संस्कृति का प्रारंभ प्राचीन यूनान से हुआ था। वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी खेल स्पर्धा ओलंपिक खेल की भी शुरुआत यूनान से ही हुई थी। संपूर्ण यूनान में शारीरिक शिक्षा एवं खेल की महान परंपरा थी परंतु यूनान के दो राज्यों स्पार्टा और एथेंस की खेल संस्कृति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया और आज भी विश्व का वर्तमान खेल परिदृश्य प्राचीन यूनान की परंपराओं व संस्कृति पर आधारित है
स्पार्टा में शारीरिक शिक्षा एवं खेल का इतिहास
स्पार्टा यूनान का एक दक्षिणी राज्य था जिसकी राजधानी लेकोनिया थी। स्पार्टा मुख्य रूप से अपनी सैन्य शक्ति और कड़े सैन्य अनुशासन के लिए जाना जाता था। स्पार्टा राज्य की संपूर्ण व्यवस्था अपने नागरिकों को सैनिक बनाने व अपने देश की रक्षा करने पर ही केंद्रित होती थी । स्पार्टा में शारीरिक शिक्षा के प्रशिक्षण को निम्न रूप से समझा जा सकता है
शिशु का जन्म
स्पार्टा में जन्म लेने वाला प्रत्येक शिशु राज्य की संपत्ति माना जाता था और उस पर पहला अधिकार राज्य का ही होता था और उसका जीवन राज्य को समर्पित होता था। केवल स्वस्थ व मजबूत शिशुओं को ही जीवित रहने दिया जाता था। कमजोर अथवा बीमार शिशुओं से कोई सहानुभूति नहीं रखी जाती थी और उन्हें माउंट टैगेटस (Mount Taygetus) पर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था
बाल्यकाल (7 वर्ष की आयु तक)
- -7 वर्ष की आयु तक शिशु अपने माता पिता के साथ परिवार ही रहते थे। उनके पिता उनके पहले प्रशिक्षक होते थे।
- -माताएं बच्चों को यूनान के महाकवि होमर द्वारा रचित महाकाव्य ईलीयड और ओडीसी से बच्चों को वीर गाथाएं सुनाती थीं जिससे बच्चों में देश प्रेम और वीरता की भावना का संचार हो।
- -बच्चों को खेलने के लिए हथियार वह युद्ध सामग्री से संबंधित खिलौने दिए जाते थे जिससे उसकी मनोवृति सैनिक बनने की हो जाए।
8 वर्ष से 20 वर्ष तक की अवस्था -
- 7 वर्ष की अवस्था पूर्ण करने के बाद प्रत्येक बालक को अनिवार्य सैन्य शिक्षा व प्रशिक्षण ग्रहण करने के लिए एगोग (Agoge) में भेजा जाता था।
- -एगोग (Agoge) बच्चों को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए स्थापित विद्यालय थे जहां पर बच्चों को समूह में सैनिकों की तरह बैरकों में रखा जाता था। एगोग का निरीक्षक पाइडोनामस (Paidonomous) कहलाता था।
- -एगोग में बालकों को बहुत ही कड़े अमानवीय और यातना पूर्ण तरीके से सैन्य शिक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता था।
- -छात्रों को मजबूत, सख्त और चालाक बनाने पर जोर दिया जाता था
- -छात्रों को पहनने के लिए साल भर के लिए केवल एक वस्त्र ही दिया जाता था
- -भोजन कम दिया जाता था और खाना चुराने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित किया जाता था, यदि कोई बालक चोरी करते हुए पकड़ा जाए तो उसे कठोर दंड दिया जाता था। इसका उद्देश्य बालक को गुप्त रूप से कार्य करने मैं पारंगत बनाना, चालाक धूर्त और साहसी बनाना था
- -विद्यार्थी खुले आसमान और विषम परिस्थितियों में रहते हुए शस्त्र विद्या, युद्ध कला व सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते थे।
एगोग (Agoge) शारीरिक प्रशिक्षण
एगोग में प्रारंभिक वर्षों में जिमनास्टिक व्यायाम पर विशेष जोर दिया जाता था।
युवा अवस्था में तैराकी, घुड़सवारी, कुश्ती, मुक्केबाजी, तीरंदाजी, भाला फेंक और दौड़ का भी प्रशिक्षण दिया जाता था। यह सभी कलाएं उसे एक श्रेष्ठ सैनिक बनने में सहायक होती थी
20 से 30 वर्ष की अवस्था
- -20 वर्ष की अवस्था तक कड़े सैन्य प्रशिक्षण से गुजर कर बालकों को राज्य भक्ति की शपथ दिलाकर सेना में भर्ती कर उन्हें पूर्ण नागरिक का दर्जा प्रदान किया जाता था।
- -20 से 30 वर्ष की अवस्था तक सैनिक बैरकों में रहते थे और सैनिक के रूप में आवश्यकता पड़ने पर युद्ध में भाग लेते थे।
- -उन्हें विवाह करने का अधिकार था परंतु वे घर पर नहीं रह सकते थे, केवल छोटी अवधि के अवकाश पर ही वे घर आ सकते थे
30 से 60 वर्ष की अवस्था
- -30 वर्ष की अवस्था के बाद उन्हें परिवार में रहने का अधिकार मिल जाता था परंतु 60 वर्ष की अवस्था तक सेना में रहना अनिवार्य था
- -60 वर्ष की अवस्था में सेना से सेवानिवृत्त होकर उन्हें अगली पीढ़ी को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करना होता था
स्पार्टा में महिलाओं की स्थिति
- -स्पार्टा में महिलाओं की स्थिति अच्छी थी और उन्हें कई अधिकार प्राप्त है उनका कार्य मुख्य रूप से शिशुओं में देशभक्ति और वीरता की भावना का संचार करना होता था ।
- -बचपन से युवावस्था तक बालिकाएं घर पर रहकर ही विभिन्न विषयों का अध्ययन करती थी और उन्हें भी शारीरिक प्रशिक्षण जैसे दौड़ जिमनास्टिक घुड़सवारी आदि का प्रशिक्षण दिया जाता था
- - 20 वर्ष की अवस्था में महिलाएं विवाह कर सकती थी। पुरुष और महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त थे
- -क्योंकि पुरुष लंबे समय तक अपनी सैन्य वाहिनियों के साथ सीमा पर युद्ध में रहते थे, अतः घर परिवार कृषि व्यापार की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही होती थी अतः उनकी सामाजिक स्थिति मजबूत थी।
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