Sem 1 (यूनिट 2) भारत में शारीरिक शिक्षा (प्राचीन एवं आधुनिक)

 भारत में शारीरिक शिक्षा का इतिहास

 स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के पश्चात


भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। विभिन्न धार्मिक पौराणिक साहित्य व हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो स्थानों पर मिले पुरातात्विक प्रमाणों से यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 3000 ईसा पूर्व भारत में एक विकसित सभ्यता थे।

भारत में शारीरिक शिक्षा के विकास को विभिन्न मुख्य रूप से दो काल खंडों में बांटा गया है:

  •  स्वतंत्रता से पूर्व (प्राचीन भारत)
  • स्वतंत्रता के पश्चात (आधुनिक भारत)



स्वतंत्रता से पूर्व भारत में शारीरिक शिक्षा 

प्राचीन भारत के अध्ययन की दृष्टि से विभिन्न काल खंडों में बांटा जा सकता है, जो निम्न है


  • सिंधु घाटी की सभ्यता का काल 3250 BC - 2500 BC
  • वैदिक काल 2500 BC - 600 BC
  • महाकाव्य काल 600 BC - 320 BC
  • उत्तर हिंदू काल 320 BC - 1000 AD
  • मध्यकालीन भारत 1000 AD - 1757 AD
  • ब्रिटिश काल 1757 AD - 1947 AD
  • आधुनिक भारत 1947 AD से अब तक


सिंधु घाटी की सभ्यता का काल 3250 BC - 2500 BC

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नामक स्थानों से प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि सिंधु घाटी में एक फलती फूलती सभ्यता थी। 

वहां से प्राप्त विभिन्न प्रकार के उपकरण, हथियार, मोहरें, मूर्तियां, कलाकृतियां, भवनों के अवशेष आदि से वहां के लोगों के खेलकूद व मनोरंजन की साधनों के बारे में पता चलता है।

वहां की खुदाई में कई बड़े तरणताल पाए गए हैं अनुमान है कि तरणताल के निकट व्यायाम व मसाज करने की व्यवस्था थी।

 एक नर्तकी की मूर्ति से मालूम पड़ता है कि नृत्य कला प्रचलित थी, साथ ही चौपड़, पासा, गोली की खेल, जानवरों की लड़ाई, मुक्केबाजी, शिकार खेलना सामूहिक नृत्य आदि उनके खेलकूद एवं मनोरंजन के साधन थे।

वैदिक काल 2500 BC - 600 BC

इस काल में मध्य एशिया से आए हुए आर्य जाति के लोगों का वर्णन मिलता है जो कि भारत के गंगा और सिंधु मैदानों में बस गए थे। आर्य लोग मजबूत और ऊंची कद काठी के लोग थे। पशुपालन व कृषि उनका मुख्य व्यवसाय था।

इस काल में योग की उत्पत्ति हुई थी तथा स्वास्थ्य एवं आरोग्य प्राप्त करने हेतु सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम का अभ्यास मुख्य रूप से किया जाता था 

आर्य लोग युद्ध प्रेमी थे जो कि हमेशा युद्ध कलाओं जैसे मल्ल युद्ध, तीरंदाजी, तलवारबाजी, भाला फेंकना, घुड़सवारी रथों की दौड़, हाथी की सवारी, बॉक्सिंग जैसे खेलों का अभ्यास करते थे

ब्रिटिश भारत में शारीरिक शिक्षा 1757 से 1947 तक

अंग्रेजों ने भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को पूर्णतः ध्वस्त कर दिया तथा पढ़ाई का माध्यम संस्कृत से बदलकर अंग्रेजी कर दिया गया तथा प्रचलित तथा पारंपरिक भारतीय शारीरिक शिक्षा जैसे योग शिक्षा मलखंब अखाड़ा कबड्डी खो-खो आदि के स्थान पर नए यूरोपीय खेलो को प्राथमिकता दी जाने लगी

आधुनिक फुटबॉल का जन्म 1871 में इंग्लैंड में हुआ।

बास्केटबॉल खेल का आविष्कार दिसंबर 21, 1891 स्प्रिंगफील्ड मैसाचुसेट्स अमेरिका में जेम्स नाई स्मिथ ने किया था।

वॉलीबॉल खेल का आविष्कार 1995 में YMCA मैसाचुसेट्स अमेरिका में WG Morgan (डब्लू जी मोर्गन) ने किया था

उस समय के आधुनिक खेल जैसे क्रिकेट, हाकी, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल आदि सबसे पहले सेना में लाए गए तत्पश्चात ये खेल भारतीय समाज में भी प्रचलित हो गए। ये खेल लोगों को अधिक आकर्षक लगे क्योंकि इसमें कम समय में अधिक लोग खेल सकते थे, 

भारतीय शारीरिक शिक्षा को महत्व नही मिलता देख कर भारत कैकई संवाद सेवी एवं राष्ट्रवादी लोगों ने भारतीय शारीरिक शिक्षा पुनरुद्धार हेतु कई व्यायामशालाएं, अखाड़ा, क्रीडा मंडल आदि स्थापित किए। परंतु तत्कालीन प्रमुख विद्यालयों में भारतीय शारीरिक शिक्षा व्यवस्था के स्थान पर अंग्रेजों द्वारा लाए गए नए खेलों को प्राथमिकता दी जाने लगी।

1914: पारंपरिक भारतीय खेलों को प्रचलित करने के लिए हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल HVPM की अमरावती में स्थापना की गई जिसमें भारत में पहली बार शारीरिक शिक्षा में डिग्री, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारंभ हुई उन्होंने पूरे भारतवर्ष में भ्रमण किया और भारतीय प्राचीन शारीरिक शिक्षा की कला जैसे मलखंब, रस्सी मलखंब आदि खेलों का प्रदर्शन किया। अखिल महाराष्ट्र शारीरिक शिक्षा मंडल ने पहली बार कबड्डी और खो-खो की नियमों को प्रकाशित किया ।

1920: मद्रास में एचसी बक (HC Buch) द्वारा वाईएमसीए YMCA की स्थापना की गई जिसमें पहली बार यूरोप के आधुनिक शारीरिक शिक्षा प्रणाली को भारत में लाया गया और यहां पर शारीरिक शिक्षा एवं खेल की डिग्री कोर्स प्रारंभ हुए तथा यहां से शिक्षा प्राप्त अध्यापक भारत के स्कूलों में शारीरिक शिक्षा अध्यापक के रूप में नियुक्त किए जाने लगे 

1921: भारत की स्कूल शिक्षा व्यवस्था में में स्काउट की स्थापना

1927: भारतीय ओलंपिक संघ IOA का गठन हुआ जिसमें एचसी वर्क की प्रमुख भूमिका थी। आईओए IOA के गठन से भारत में ओलंपिक के प्रति जागरूकता अभियान की शुरुआत हुई

1928, 1932 और 1936 भारत की हॉकी टीम ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता जिससे भारत को दुनिया भर में एक नई पहचान मिली और हॉकी खेल भारत के जनमानस में पहुंच गया।

1948: 1947 में भारत के आजाद होने के बाद ओलंपिक खेल 1948 में लंदन में हुए और भारत में पूरी दुनिया को चौंकाते हुए मेजबान देश इंग्लैंड को उनकी मैदान पर ही हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया और भारत के खिलाड़ी देश के हीरो बन गए 

1948 भारत में छात्रों के लिए एनसीसी NCC की शुरुआत हुई। एशियाई खेल समिति का गठन हुआ

सरकार द्वारा ताराचंद शारीरिक शिक्षा समिति बनाई गई जिसने भारत में शारीरिक शिक्षा में खेल को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुझाव दिए

1950: भारत सरकार को शारीरिक शिक्षा एवं खेलों के विकास हेतु सुझाव देने के लिए केंद्रीय शारीरिक शिक्षा एवं मनोरंजन समिति का गठन किया गया

1951: भारत में पहली एशियाई खेल आयोजित किए गए

1953: भारत के स्कूलों व खिलाड़ियों को कोचिंग देने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राजकुमारी अमृत कौर कोचिंग स्कीम लागू की गई। परंतु उस समय भारत में उचित योग्यता धारक शारीरिक शिक्षा अध्यापकों और कोच नहीं थे, अतः इस काम के लिए उस समय के प्रसिद्ध खिलाड़ियों को कोचिंग देने के लिए चुना गया। जिसमें मेजर ध्यानचंद और श्री राम सिंह जैसे खिलाड़ियों ने कोचिंग देने का कार्य किया

1954 भारत के विभिन्न खेल संघों को सरकार से जोड़ने के लिए अखिल भारतीय खेल परिषद का गठन किया गया साथ ही राज्य एवं जिला स्तर पर भी खेल संघ बनाए गए 

1956 शारीरिक शिक्षा एवं खेलों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय सलाहकार समिति द्वारा राष्ट्रीय योजना की घोषणा की गई

1957 भारत में योग्य शारीरिक शिक्षा अध्यापक तैयार करने के लिए ग्वालियर में लक्ष्मी बाई शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय (LCPE) की स्थापना की गई जिसमें शारीरिक शिक्षा में स्नातक और परास्नातक की डिग्री पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता था। यह केंद्रीय सरकार द्वारा स्थापित पहला शारीरिक शिक्षण केंद्र था।

वर्तमान में यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय बन चुका है और इसका नाम लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा शिक्षण संस्थान LNIPE है

1958 भारत में खेल एवं शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा खेल एवं युवा कल्याण विभाग (Sports and Youth Welfare Department) की स्थापना की गई

1959 भारत में शारीरिक शिक्षा का स्तर एवं विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा की सुविधा के आकलन के लिए एडहॉक कमेटी का गठन हुआ। तथा भारत की लोगों की फिटनेस और स्वास्थ्य स्तर का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय फिजिकल एफिशिएंसी ड्राइव NPED कार्यक्रम प्रारंभ की गई

1961: भारत की श्रेष्ठ खिलाड़ियों को सम्मान देने के लिए अर्जुन पुरस्कार प्रारंभ किए गए। तथा भारत में योग्य खेल प्रशिक्षक तैयार करने के लिए पटियाला में नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान Neta ji Shubhash National Institute of Sports (NSNIS) की स्थापना की गई। और किसके साथ राजकुमारी अमृत कौर कोचिंग स्कीम को बंद कर दिया गया

1965: राष्ट्रीय फिटनेस कोर National Fitness Corps (NFC) का गठन हुआ जिसमें स्कूलों और महाविद्यालय के समस्त छात्र छात्राओं के स्वास्थ्य स्तर की जांच के साथ समस्त शिक्षण संस्थानों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल के पाठ्यक्रम के लिए हैंड बुक जारी की गई 

1971:  ग्रामीण क्षेत्रों में खेल को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण खेल प्रारंभ किए गए तथा प्रतिभावान खिलाड़ियों की खोज के लिए राष्ट्रीय प्रतिभा खोज कार्यक्रमNational Talent Search Program चलाया गया तथा अच्छे खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाने लगी

1975: महिलाओं को खेल में बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग UGC ने योजना प्रारंभ की

1982: भारत में नवम एशियाई खेल आयोजित की गई जिसमें अनेक नए प्रकार के स्टेडियम व आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया

1984: भारतीय खेल प्राधिकरण sports authority of India की स्थापना की गई

1985: भारत में प्रशिक्षकों को सम्मानित करने के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रारंभ किए गए

2010 में भारत में कॉमनवेल्थ खेलों का आयोजन किया गया

2017 में भारत में पहली बार अंडर-17 विश्व कप फुटबॉल का आयोजन किया गया






 




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