Sem 1 फिजिकल फिटनेस
फिटनेस का अर्थ परिभाषा एवं विभिन्न प्रकार की फिटनेस
- शारीरिक योग्यता (फिजिकल फिटनेस) के घटक
- फिजिकल फिटनेस को प्रभावित करने वाले तत्व
- फिजिकल फिटनेस का विकास एवं उसकी देखरेख
फिटनेस का अर्थ एवं परिभाषा
आज के आधुनिक मशीनीकृत एवं कंप्यूटरीकृत दुनिया में सुख साधनों के संसाधन में लगातार वृद्धि हो रही है तथा हर छोटे-बड़े काम को करने के लिए मशीनों का सहारा लिया जाता है जिससे लोगों के शारीरिक श्रम सक्रियता में लगातार कमी होती जा रही है।
आसानी से उपलब्ध आधुनिक उपकरणों ने हमारे व्यवहार, खानपान एवं जीवन शैली को बहुत प्रभावित किया है। कहीं भी आने-जाने के लिए हम मोटर गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं, सीढ़ियां चढ़ने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं, देर तक कंप्यूटर पर कार्य करते हैं, खाली समय में खेलकूद अथवा व्यायाम के स्थान पर हम मोबाइल गेम खेलने अथवा टीवी आदि देखने में बिताते हैं, खाना खाने एवं सोने का कोई निश्चित क्रम नहीं है, परंपरागत भोजन को छोड़कर हम केमिकल युक्त फास्ट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं।
इन सभी कारणों से हमारी सामान्य शारीरिक फिटनेस भी खराब होती जा रही है जो कि भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण बन जाती है। सभी उम्र के लोग सामान्य एवं गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, दिल का दौरा, यूरिक एसिड आदि के शिकार होते जा रहे हैं। जबकि जीवन शैली मैं थोड़ा सा बदलाव करके एवं कुछ शारीरिक व्यायाम करके स्वास्थ्य संबंधी सामान्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
सामान्य शारीरिक फिटनेस क्या है
सामान्य शारीरिक फिटनेस शरीर की वह क्षमता है जिससे व्यक्ति अपने सामान्य दैनिक कार्यों को पूर्ण ऊर्जा व सतर्कता के साथ एवं बिना अनावश्यक थकान के कर पाता है। तथा इसके साथ उसमें अपने खाली समय का सदुपयोग करने और किसी अप्रत्याशित आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त ऊर्जा विद्यमान रहती है।
शारीरिक फिटनेस के प्रकार
फिटनेस एक व्यक्तिगत गुण है और प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अलग-अलग हो सकती है।
किसी व्यक्ति की फिटनेस उसकी आयु, लिंग, वंशानुगत विशेषताएं, उसके कार्य की प्रकृति एवं जीवन शैली एवं उसकी निवास की भौगोलिक व वातावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर होती है।
विशेषज्ञों ने शारीरिक फिटनेस की 2 श्रेणियां निर्धारित की हैं -
- स्वास्थ्य से संबंधित शारीरिक फिटनेस
- कौशल से संबंधित शारीरिक फिटनेस
1. स्वास्थ्य से संबंधित फिटनेस -
इससे तात्पर्य यह है कि शरीर के सभी तंत्र स्वस्थ हों व पूर्ण क्षमता से कार्य कर रहे हों तथा व्यक्ति अपने सामान्य दैनिक कार्यों को सतर्कता पूर्वक कर रहा हो तथा अपने खाली समय का सदुपयोग विभिन्न रचनात्मक एवं आनंददाई गतिविधियों के साथ कर रहा हो।
जीवन का पूर्ण आनंद लेने के लिए व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी फिटनेस अच्छी होना अति आवश्यक है
2. कौशल संबंधित फिटनेस-
किसी विशेष कार्य को करने के लिए विशेष प्रकार की फिटनेस की आवश्यकता होती है जिसमें उनकी क्षमताएं सामान्य फिटनेस वाले व्यक्ति से अधिक होती है।
जैसे एक सैनिक और खिलाड़ी की फिटनेस सामान्य लोगों से अलग होती है।
खेलों में भी खिलाड़ियों की फिटनेस अलग-अलग खेलों के अनुसार होती है। जैसे एक एथलीट, पहलवान एवं क्रिकेट खिलाड़ी इन तीनों की फिटनेस उनकी खेलों की आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग होगी।
एथलेटिक्स में भी एक धावक और एक थ्रोअर की फिटनेस में काफी अंतर होता है।
शारीरिक फिटनेस के घटक
शारीरिक शिक्षा एवं खेल विशेषज्ञों द्वारा शारीरिक फिटनेस के कुल 10 घटक निर्धारित किए गए हैं जो कि निम्न है 👇
- मांसपेशीय शक्ति (muscular strength- स्ट्रैंथ)
- मांसपेशीय सहनशक्ति (muscular endurance - इंड्योरेंस)
- कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति (cardiovascular endurance)
- लचकता (flexibility- फ्लैक्सिबिलिटी)
- गति (speed- स्पीड)
- प्रतिक्रिया समय (Reaction time)
- स्फूर्ति (agility- ऐजीलिटि)
- शारीरिक संतुलन (body balance बैलेंस)
- आंख और हाथों में समन्वय (eye-hand coordination कोआर्डिनेशन)
- आंख और पैरों में समन्वय (eye-leg coordination कोआर्डिनेशन)
1. मांसपेशीय शक्ति (Muscular Strength- स्ट्रैंथ)-
यह मांस पेशियों द्वारा अधिकतम शक्ति (maximum strength) उत्पन्न करने की क्षमता है जोकि व्यक्ति की अधिकतम भार उठाने, खींचने, धक्का देने अथवा दबाने की ताकत को इंगित करता है।
मांस पेशी की ताकत को डायनमोमीटर (Dynamometer) एवं टेंशियोमीटर (tensiometer) उपकरणों की सहायता से मापा जाता है।
मांसपेशीय शक्ति का विकास हेतु व्यायाम - वेट ट्रेनिंग, पुश अप्स, पुल अप्स, मेडिसिन बॉल व्यायाम, प्लाइओमेट्रिक व्यायाम, सर्किट ट्रेनिंग, डंबल अभ्यास आदि।
2. मांसपेशिय सहनशक्ति (muscular endurance - इंड्योरेंस) -
शारीरिक कार्य करते समय मांस पेशी कितनी देर तक थकान सहन कर पाती है, इस क्षमता को पेशीयों की सहनशक्ति कहते हैं। अर्थात मांस पेशी अपनी पूर्ण क्षमता के साथ जितनी देर तक कार्य कर सकती हैं मैं उसकी सहनशक्ति (endurance) कहलाती है
मांसपेशीय सहनशक्ति का विकास - लंबी दूरी तक दौड़ने का अभ्यास, तैराकी, रस्सी कूदना, साइकिल चलाना, स्टेयर रनिंग, तेज पैदल चलना, क्रास कंट्री दौड़, सर्किट ट्रेनिंग, हिल रनिंग आदि।
3. कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति -
यह हृदय और फेफड़ों की कार्य क्षमता है। शरीर की मांसपेशियां तभी देर तक कार्य कर सकती हैं जब कार्यशील मांस पेशियों को लगातार रक्त की आपूर्ति होती रहे जिससे कार्य करने के लिए ऊर्जा का उत्पादन होता रहे।
कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति का विकास- देर तक एरोबिक व्यायाम करना, लंबी दूरी की दौड़ का अभ्यास, तैराकी, हिल रनिंग, हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग,
4. लचकता (flexibility) -
शरीर के जोड़ों की बिना किसी बाहरी दबाव अथवा सहायता के अधिकतम सीमा (range) में गति करने की क्षमता तथा शरीर की मांस पेशियों की अधिकतम खिंचाव (stretching) की क्षमता को फ्लैक्सिबिलिटी कहते हैं।
खड़े होकर आगे की ओर झुक कर दोनों हाथों से बिना अपने घुटने मोड़े जमीन को अपनी हथेलियों से छोड़ना फ्लैक्सिबिलिटी का सरल उदाहरण है।
लचकता (flexibility) का विकास - जिमनास्टिक की सभी एक्सरसाइज, स्टैटिक स्ट्रैचिंग, डायनेमिक स्ट्रैचिंग, बैलेस्टिक स्ट्रैचिंग, एसिस्टेड स्ट्रैचिंग, योगासना अभ्यास आदि।
5. गति (Speed)- यह किसी कार्य को कम से कम समय में करने की योग्यता अथवा किसी एक्शन को निश्चित समय में अधिक से अधिक बार करने की योग्यता होती है।
उदाहरण- 100 मीटर की दौड़।
6. प्रतिक्रिया समय (Reaction time)-
किसी श्रव्य अथवा दृश्य उद्दीपन (stimulus) पर न्यूनतम समय में प्रतिक्रिया करने की क्षमता को प्रतिक्रिया समय कहते हैं।
उदाहरण- स्प्रिंट दौड़ो में एथलीट पिस्टल फायर की आवाज पर दौड़ना शुरू करते हैं। रिएक्शन टाइम क्षमता भी एक प्रकार की गति की क्षमता है।
7. स्फूर्ति अथवा चपलता (Agility) - यह तेजी से संपूर्ण शरीर के अंगों की स्थिति और दिशा बदलने की क्षमता है।
उदाहरण- खो-खो अथवा बैडमिंटन खेलते समय खिलाड़ी का कोर्ट पर तेजी से दिशा बदलना, कबड्डी में रेडर द्वारा रेड डालना
8. शारीरिक संतुलन (body balance बैलेंस)
यह शरीर को स्थिर अथवा गति की अवस्था में संतुलित रखने की क्षमता होती है।
तीरंदाजी अथवा राइफल शूटिंग के समय शरीर शरीर को संतुलित रखने को स्थैतिक संतुलन कहते हैं तथा रनिंग, स्केटिंग, डांस जैसे कार्य करते हुए आदि के समय शरीर को संतुलित रखने की क्षमता को गतिज संतुलन कहते हैं।
9. आंख और हाथों में समन्वय (eye-hand coordination कोआर्डिनेशन)
और
10. आंख और पैरों में समन्वय (eye-leg coordination कोआर्डिनेशन)
सही खेल क्रियाओं में हाथ एवं पैरों का एक साथ समन्वय के साथ इस्तेमाल करना पड़ता है। प्रायः खेलों में किसी उपकरण जैसे बॉल, बैट, रैकेट, शटल कॉक आदि के साथ खेलना पड़ता है वहां पर खेल उपकरण तथा प्रतिद्वंदी खिलाड़ी की मूवमेंट को देखकर हमें अपने हाथों व पैरों से मूवमेंट करने पड़ते हैं वहां पर उच्च कोटि की समन्वय (coordination) की आवश्यकता होती है।
इसके अतिरिक्त सामान्य जीवन में भी ऐसी कई घटनाएं होती हैं जहां पर हमें हाथ एवं पैर दोनों से एक साथ काम लेना पड़ता है
फिजिकल फिटनेस को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं 👇
- आयु
- लिंग
- संतुलित आहार
- शारीरिक क्रियाओं जैसे व्यायाम खेलकूद योगासन आदि का नियमित अभ्यास
- भौगोलिक परिस्थितियां एवं जलवायु
- जीवन शैली
- चिकित्सकीय सुविधाएं
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