Sem 2 - Unit 4 बजट का प्रारूप

 यूनिट 4 - बजट का प्रारुप 

(Unit 4 - Format of Budget Preparation)


4.1 विभागीय वित्तीय नियोजन एवं आकलन (Preparing the Departmental Financial Plan and Estimate)

4.2 व्यय का प्रबंधन (Expenditure Management)

वित्तीय बजट निर्माण का कार्य प्रायः संगठन के उच्च अधिकारी करते हैं जो पर्याप्त अनुभवी और सक्षम व्यक्ति होते हैं। यह भी संभव है कि कभी-कभी बजट निर्माण के लिए बजट कमेटी गठित की जाती है जिसमें संबंधित क्षेत्रों की विशेषज्ञ शामिल होते हैं।

बजट को एक विशेष प्रारूप में तैयार किया जाता है, जिससे उसे आसानी से समझा जा सके तथा उससे संबंधित व्यक्तियों को पर्याप्त जानकारी आसानी से मिल सके। बजट हमेशा संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं।

बजट बनाने की प्रक्रिया (बजट चक्र)

  


बजट का निर्माण संगठन के निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। बजट बनाने की प्रक्रिया के कुछ निश्चित चरण होते हैं जिनका पालन करना एक अच्छा बजट बनाने के लिए जरूरी होता है।

बजट बनाने के मुख्यतः चार चरण होते हैं जिन्हें बजट चक्र भी कहा जाता है जो कि निम्न लिखित हैं 👇

  1. बजट तैयार करना
  2. बजट प्रस्तुत करना तथा उसकी स्वीकृति/अनुमोदन
  3. बजट का निष्पादन
  4. बजट का निरीक्षण

चरण 1- बजट तैयार करना

बजट बनाने का कार्य प्रायः संस्थान के प्रमुख द्वारा किया जाता है। यह दायित्व संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष को भी दिया जा सकता है अथवा इसके लिए एक बजट निर्माण कमेटी का गठन किया जाता है जिसमें क्षेत्र से संबंधित अनुभवी लोग होते हैं कुछ विशेष कार्यों के लिए बजट बनाते समय उस क्षेत्र के विशेषज्ञों की भी राय ली जाती है।

बजट बनाने की प्रक्रिया में निम्न बिंदुओं पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है

  • पिछले बजट के आय और व्यय के समस्त आंकड़ों को एकत्र करना तथा उसकी समीक्षा करना
  • पिछले बजट में पारित प्रस्तावों की समीक्षा तथा उपकरणों एवं सुविधाओं की सूची का विश्लेषण करना
  • पिछले सत्र की अवशेष वस्तुओं का रिकॉर्ड रखना जिससे नये सत्र उन्हीं वस्तुओं की अनावश्यक खरीद से बचा जा सके
  • वर्तमान सत्र में क्रय की जाने वाली सामग्री तथा सुविधाओं के निर्माण पर होने वाले संभावित व्यय का ध्यान रखा जाता है
  • पिछले सत्र की अवशेष राशि (Balance) तथा वर्तमान सत्र की संभावित आय (income) को जोड़कर बजट की कुल राशि निकाली जाती है
  • आगामी सत्र की संभावित आय को ध्यान में रखा जाता है

चरण 2- बजट प्रस्तुत करना तथा उसकी स्वीकृति/अनुमोदन

एक बार बजट बन जाने के पश्चात उसे वित्त समिति/संस्थान के प्रमुख अथवा शीर्ष प्रबंधन के समक्ष अनुमोदन (स्वीकृति) के लिए प्रस्तुत किया जाता है। शीर्ष प्रबंधन बजट की सार्थकता तथा गुण-दोषों की समीक्षा करते हैं। बजट पर चर्चा करने के पश्चात शीर्ष प्रबंधन बजट को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत कर सकता है या बजट में सुधार करने के लिए सुझाव दे सकता है। 

बजट स्वीकृति के बाद बजट की योजना के अनुसार धन का आवंटन कर दिया जाता है जिससे वर्तमान सत्र की आवश्यकता की पूर्ति हेतु व्यय किया जा सके।

चरण 3- बजट का निष्पादन

बजट के निष्पादन से तात्पर्य बजट योजना के अनुसार आवश्यकताओं पर धन को व्यय करना है। 

बजट योजना को वित्त समिति/संस्थान के प्रमुख अथवा शीर्ष प्रबंधन के द्वारा अनुमोदित (स्वीकृति) किए जाने के बाद योजना गत खर्च करने हेतु चरणबद्ध तरीके से धन निर्गत कर दिया जाता है जिससे योजनागत कार्यों का निष्पादन किया जा सके।

यह बजट खर्च करने वाले अधिकारी अथवा कमेटी की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि धन सही जगह और वास्तविक आवश्यकताओं पर ही खर्च हो रहा है। बजट खर्च करने वाली समिति का यह भी दायित्व है कि वह धन खर्च करने की सभी प्रक्रियाओं के समस्त रिकॉर्ड जैसे कोटेशन, टेन्डर, रसीद, बिल, वाउचर आदि का ठीक से रखरखाव करें जिससे उसकी भविष्य में जांच (Audit आडिट) की जा सके। 

बजट योजना पर हो रहे धन की एकाउंटिंग करना बजट निष्पादन का एक आवश्यक अंग है। 

व्यय हो रहे धन की अकाउंटिंग के अतिरिक्त क्रय की जाने वाली सामग्री को भंडार पंजिका में दर्ज किया जाता है। समस्त क्रय की जाने वाली वस्तुएं दो प्रकार की होती हैं उपभोज्य तथा अनुउपभोज्य सामाग्री तथा इन सामग्रियों का विवरण भी दो तरह की भंडार पंजिका (Stock Register) में लिखा जाता है उपभोज्य तथा अनुउपभोज्य भंडार पंजिका।

चरण 4- बजट व्यय का निरीक्षण (Audit आडिट)

बजट के निष्पादन के दौरान अथवा निष्पादन के पश्चात विशेषज्ञों के द्वारा इस बात की जांच की जाती है कि निर्गत किए गए धन का सही उपयोग हुआ कि नही, अर्थात यह देखा जाता है कि जिस कार्य के लिए धन निर्गत हुआ उसी पर धन खर्च होना चाहिए। 

विशेष परिस्थितियों में बजट निष्पादन के दौरान भी बजट में का निरीक्षण किया जा सकता है। इस बात की जांच करने के लिए ऑडिट टीम द्वारा धन खर्च किए जाने की सभी प्रक्रियाओं तथा उससे संबंधित कोटेशन, टेन्डर, रसीद, बिल, वाउचर की जांच एवं मिलान अकाउंट रजिस्टर तथा उपभोज्य तथा अनुभोज्य भंडार पंजिका में की गई वस्तुओं की एंट्री से किया जाता है। उनमें कोई त्रुटि अथवा गड़बड़ी पाए जाने की जाने पर जवाब तलब किया जाता है। बजट निरीक्षण से धन के दुरुपयोग को रोका जाता है। 













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