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Showing posts from March, 2022

Sem 1 प्रश्नोत्तर- ओलंपिक

  लघु प्रश्नोत्तर प्राचीन भारत में शारीरिक शिक्षा योग का जन्म किस काल में हुआ - वैदिक काल में योग के जनक किसे कहा जाता है - महर्षि पतंजलि को भारत में अखाड़ा आंदोलन के प्रणेता तथा भारतीय शारीरिक शिक्षा का पितामह किन्हें कहा जाता है - समर्थ गुरु रामदास को वैदिक एवं महाकाव्य काल में विद्यालयों को क्या कहा जाता था - गुरुकुल हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल (HVPM) की स्थापना किसने, कब और कहां की - वैद्य बंधुओं ने 1914 में अमरावती (महाराष्ट्र) YMCA मद्रास की स्थापना किसने और कब की - एच . सी. बक ने 1920 में YMCA का पूर्ण नाम - यंग मैन क्रिश्चियन एसोसिएशन ################################################## प्राचीन ओलंपिक (776 ईसा पूर्व से 394 ईस्वी तक) प्राचीन ओलंपिक कब और कहां से प्रारंभ हुए थे- 776 BC में ओलंपिया (यूनान) से ओलंपिक खेल कितने वर्ष की अवधि में होते थे- 4 वर्ष प्राचीन ओलंपिक किस देवता के सम्मान में होते थे- जीयस प्राचीन ओलंपिक खेलों में कौन से खिलाड़ी भाग लेते थे- केवल यूनान के मूल नागरिकों को ही खेलों में भाग लेने का अधिकार था ओलंपिक खेलों में कौन भाग लेते थे- केवल पुरुषों को भ...

Sem 1 योग (प्रयोगात्मक परीक्षा)

  योग प्रयोगात्मक योग का अर्थ एवं परिभाषा: ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा की युजिर’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ है- बाँधना, युक्त करना, जोड़ना, सम्मिलित होना, एक होना। इसका अर्थ संयोग या मिलन भी है। महादेव देसाई के अनुसार- “शरीर, मन और आत्मा की समग्र शक्तियों को परमात्मा से संयोजित करना योग है।”  कठोशनिषद् में योग के विषय में कहा गया है- “जब पाँचों ज्ञानेन्द्रियां मन के साथ स्थिर हो जाती है और मन शान्त हो जाता है, जब बुद्धि स्थिर (अचंचल) हो जाती है तब उसमें शुभ संस्कारो की उत्पत्ति और अशुभ संस्कारों का नाश होने लगता है। वह बन्धन मुक्त हो जाता है। यही अवस्था योग है। योग की परिभाषा महर्षि पतंजलि ने योग को परिभाषित करते लिखा है, "योगश्चित्त वृत्ति निरोध:" अर्थात चित्त की वृत्तियों को रोकना ही योग है  योग, चित्त वृत्तियों का निरुद्ध होना है। अर्थात् योग उस अवस्था विशेष का नाम है, जिसमें चित्त में चल रही सभी वृत्तियां रूक जाती हैं। चित्त की सम्पूर्ण वृत्तियां को विभिन्न अभ्यासों के माध्यम से रोक देने की अवस्था समाधि या योग कहलाती है। हमारा चित्त तरह-तरह की वस्तुओं, दृश्यों...

स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा

  स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा स्वास्थ्य का अर्थ, परिभाषा एवं क्षेत्र स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ, सिद्धांत एवं महत्व किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी उसके स्वस्थ नागरिक होते हैं। अतः स्वस्थ रहना प्रत्येक नागरिक की मूलभूत आवश्यकता है तथा देश के नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करना सरकार का मूलभूत कर्तव्य होता है। सामान्य शब्दों में स्वस्थ होने का अर्थ शरीर में बीमारियों अथवा दुर्बलता के ना होने से लिया जाता है। परंतु शारीरिक स्वस्थता संपूर्ण स्वास्थ्य का केवल एक क्षेत्र है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा - स्वास्थ्य सिर्फ शरीर में रोग या दुर्बलता की अनुपस्थिति ही नहीं बल्कि एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक खुशहाली की स्थिति है।  स्वस्थ होना शरीर की वह योग्यता है जो कि शरीर को निरंतर बदलती परिस्थितियों के अनुसार ढलने के योग्य बनाती है, जिससे व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को बिना अनावश्यक थकान के अच्छी तरह करने की शक्ति प्राप्त करता है, व्यक्ति जीवन के तनावों को झेलने में सक्षम बनाती है तथा व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन का आनंद उठ...

Sem 1 भारत की खेल विभूतियां

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  भारत की खेल विभूतियां मेजर ध्यानचंद Major Dhyanchand जन्म (29 अगस्त 1905)  - निर्वाण (3 दिसम्बर 1979) (हॉकी के जादूगर) 29 अगस्त 1905          - 3 दिसम्बर 1979 मेजर ध्यानचंद भारत के पहले वैश्विक सुपर स्टार खिलाड़ी थे जिन्होंने पूरे विश्व में भारत की विशेष पहचान बनाई। ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। 16 वर्ष की आयु में वे सेना में भर्ती हो गए वहीं उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। और उनका खेल निखरता गया और उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह बना ली वे 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक , 1932 के लॉस एंजेल्स ओलम्पिक एवं 1936 के बर्लिन ओलंपिक में हाकी का स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य थे। उनके शानदार खेल के कारण वे दुनिया में हाकी के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपने खेल कैरियर में 1000 से अधिक गोल किए। ध्यानचंद के साथ उनके भाई रूप सिंह स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे तथा बाद में उनके पुत्र अशोक कुमार ने भी भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया और सन 1975 में हॉकी का विश्व कप जीता। 3 दिसम्बर 1979 को 74 वर्ष की अवस्था मे...

Sem 1 फिजिकल फिटनेस

  फिटनेस का अर्थ परिभाषा एवं विभिन्न प्रकार की फिटनेस शारीरिक योग्यता (फिजिकल फिटनेस) के घटक फिजिकल फिटनेस को प्रभावित करने वाले तत्व फिजिकल फिटनेस का विकास एवं उसकी देखरेख फिटनेस का अर्थ एवं परिभाषा आज के आधुनिक मशीनीकृत एवं कंप्यूटरीकृत दुनिया में सुख साधनों के संसाधन में लगातार वृद्धि हो रही है तथा हर छोटे-बड़े काम को करने के लिए मशीनों का सहारा लिया जाता है जिससे लोगों के शारीरिक श्रम सक्रियता में लगातार कमी होती जा रही है। आसानी से उपलब्ध आधुनिक उपकरणों ने हमारे व्यवहार, खानपान एवं जीवन शैली को बहुत प्रभावित किया है। कहीं भी आने-जाने के लिए हम मोटर गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं, सीढ़ियां चढ़ने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं, देर तक कंप्यूटर पर कार्य करते हैं, खाली समय में खेलकूद अथवा व्यायाम के स्थान पर हम मोबाइल गेम खेलने अथवा टीवी आदि देखने में बिताते हैं, खाना खाने एवं सोने का कोई निश्चित क्रम नहीं है, परंपरागत भोजन को छोड़कर हम केमिकल युक्त फास्ट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं।  इन सभी कारणों से हमारी सामान्य शारीरिक फिटनेस भी खराब होती जा रही है जो कि भविष्य में गंभीर...